रुद्रप्रयाग। केदारनाथ में हेलीकॉप्टर क्रैश होने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पूर्व भी इस तरह की चार बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इन सभी दुर्घटनाओं का सिर्फ एक ही कारण था खराब मौसम। खराब मौसम के बावजूद केदारघाटी में जिस तरह से एविएशन कंपनियां बेतरतीब उड़ानें भर रहे थे, उससे यही संभावना जताई जा रही थी कि कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है। आज यह संभावना सच साबित हुई और हेलीकॉप्टर क्रैश होने से पायलट सहित सात लोगों की मौत हो गई।
दरअसल, केदारनाथ के लिए गुप्तकाशी, फाटा, शेरसी सहित अन्य स्थानों से नौ एविएशन कंपनियां हेली सेवा दे रही हैं। इन सभी कंपनियों के हेलीकॉप्टर उड़ाने के लिए रुट निर्धारित हैं। अधिकतर हेलीकॉप्टर ईंधन और समय बचाने के लिए ऊंचाई मेंटेन नहीं करते हैं और गौरीकुंड-केदारनाथ के बीच संकरी घाटी के बीचों-बीच से होकर गुजरते हैं। रामबाड़ा के ऊपर गरुड़चट्टी-केदारनाथ के बीच घाटी से तेजी से धुंध (फॉग) ऊपर के लिए उठती है और अचानक जीरो विजिबिलिटी हो जाती है। चंद कदम पर कुछ भी नहीं दिखाई देता है। इस तरह का मौसम यहां अक्सर बना रहता है। हर पल में मौसम अपना रंग बदलता है। किसी समय तेज बारिश, किसी समय बर्फ़बारी तो कभी अचानक उठती सफेद धुंध। यहां के मौसम का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है। आज हुए हेलीकॉप्टर क्रैश का सबसे बड़ा कारण अचानक घाटी से उठी धुंध (फॉग) ही थी। जीरो विजिबिलिटी के कारण पायलट ने इमरजेंसी लैंडिंग की कोशिश की और हेलीकॉप्टर पहाड़ से जा टकराया और उसके दो टुकड़े हो गए। ठीक इसी तरह का एक हादसा वर्ष 2013 में गरुड़चट्टी के समीप ही हुआ था, जिसमें पायलट सहित दो लोगों की मौत हुई थी। उस समय भी अचानक धुंध उठने से विजिबिलिटी शून्य हो गई और हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
केदारनाथ आपदा के दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटा वायुसेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर को भी इसी तरह के खराब मौसम के चलते हादसे का शिकार होना पड़ा था। जिसमें करीब 23 लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा भी छिटपुट घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। अब केदारनाथ में हवा के दबाव के चलते हेलीकॉप्टरों का अनियंत्रित होना आम बात सी हो गई है। आपको याद होगा, इसी वर्ष 31 मई को थंबी एविएशन का हेलीकॉप्टर केदारनाथ हेलीपैड पर लैंडिंग के दौरान अनियंत्रित हो गया था और उसने 270 डिग्री तक घूमते हुए हार्ड लैंडिंग की थी।