देहरादून: उत्तराखंड ऊर्जा निगम प्रदेश की विद्युत व्यवस्था में सुधार लाने के काम में जुटा हुआ है. इसी क्रम में केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत यूपीसीएल द्वारा प्रदेश के 215 विद्युत उपसंस्थानों पर रियल टाइम डेटा एक्विजिशन सिस्टम (आरटीडीएएस) की स्थापना की जा रही है. जिससे सभी सब स्टेशनों की रियल टाइम पर मॉनिटरिंग की जा सकेगी. अभी तक 232 उप संस्थानों में इस प्रणाली की स्थापना कर उन्हें हाईटेक किया जा चुका है. जिससे उपभोक्ताओं को विद्युत कटौती की सटीक जानकारी मिल रही है.
यूपीसीएल के अनुसार केंद्र राज्य सरकार के प्रयासों और ऊर्जा सचिव के मार्गदर्शन में विद्युत वितरण प्रणाली को आधुनिक और मजबूत बनाया जा रहा है. आरडीएसएस योजना के तहत प्रदेश के 215 विद्युत सबस्टेशनों पर रियल टाइम डेटा एक्विजिशन सिस्टम की स्थापना कार्य किया जा रहा है. यह आरटीडीएएस प्रणाली प्रदेश के 25 हजार से कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों के उपसंस्थानों स्थापित किए जा रहे हैं.
वर्तमान में इस योजना के हत प्रदेश में कुल 103 उपसंस्थानों पर इस प्रणाली की स्थापना की जा चुकी है. जिनमें मुख्यतः रानीपोखरी, जौलीग्रांट, त्यूनी, लालतप्पड़, सेलाकूई, चिपलघाट, रायवाला एवं चाकीसैंण आदि क्षेत्र शामिल हैं तथा शेष उपसंस्थानों पर में चरणबद्ध तरीके से आरटीडीएएस प्रणाली के स्थापना का कार्य पूर्ण किया जायेगा. साथ ही पूर्व में भी यूपीसीएल द्वारा आरडीएसएस योजना के अन्तर्गत प्रदेशभर के 66 शहरों के 106 उपसंस्थानों पर आरटीडीएएस नियंत्रण प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है. ऐसे में अभी तक 232 उप संस्थानों में इस प्रणाली की स्थापना कर उन्हें हाईटेक किया जा चुका है.
यूपीसीएल के प्रबन्ध निदेशक ने बताया कि कि आरटीडीएएस नियंत्रण प्रणाली के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के बाद सभी उपसंस्थानों की रियल टाईम आधार पर मॉनिटरिंग जा सकेगी. जिससे नियोजित और अनियोजित बिजली कटौती का सटीक जानकारी तथा विद्युत वितरण नेटवर्क की विश्वसनीयता को सटीक रूप से मापने के लिये SAIFI/SAIDI की गणना भी की जा सकेगी. इस कार्य से अनियोजित कटौती का विश्लेषण कर उनकी संख्या तथा विद्युत बाधित समय कम करने में काफी सफलता प्राप्त होगी. आरटीडीएएस के क्रियान्वयन होने से फीडर ट्रीप होने की दशा में तत्काल एसएमएस के माध्यम द्वारा अवर अभियन्ता को सूचना प्राप्त हो जाती है तथा निर्धारित संख्या से अधिक Tripping होने की दशा में सूचना सम्बन्धित उच्चाधिकारी (उपखण्ड अधिकारी, अधिषासी अभियन्ता एवं अधीक्षण अभियन्ता) को भी प्रेषित की जाती है. जिससे सभी स्तरों पर बेहतर ढ़ंग से मॉनिटरिंग होने से बिजली व्यवस्था सुदृढ़ रहती है. इसके अलावा उपसंस्थानों में स्थापित ब्रेकर्स की Tripping की संख्या के आधार पर समय से ब्रेकर्स का अनुरक्षण कर आपात स्थिति में विद्युत व्यवधान की सम्भावना से बचा जा सकता है. आरटीडीएएस के माध्यम से एकत्रित सूचना रियल टाइम आधार पर नेशनल पॉवर पोर्टल पर प्रेशित करते हुए नोडल एजेंसी (मै पी.एफ.सी.) को दी जाती है. आरटीडीएएस को कॉल सेंटर से इन्टीग्रेटेेड किया गया है. जिसके तहत Customer Service Representative (CSR) को फीडर कटौती की जानकारी मिलने से उपभोक्ताओं को विद्युत बाधित होने की सटीक जानकारी उपलब्ध कराने में मदद मिलती है.